Monday 28 September 2015

सफलता और लक्ष्य

ऐसे मिलती है सफलता और लक्ष्य होते हैं पूरे

एक बार स्वामी विवेकानंद के आश्रम में एक व्यक्ति आया जो बहुत दुखी लग रहा था। उस व्यक्ति ने आते ही स्वामीजी के पैरों में गिर पड़ा और बोला कि मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूं, मैं बहुत मेहनत करता हूं, लेकिन कभी भी सफल नहीं हो पाता हूं। उसने विवेकानंद से पूछा कि भगवान ने मुझे ऐसा नसीब क्यों दिया है? मैं पढ़ा-लिखा और मेहनती हूं, फिर भी कामयाब नहीं हूं।
स्वामीजी उसकी परेशानी समझ गए। उस समय स्वामीजी के पास एक पालतू कुत्ता था, उन्होंने उस व्यक्ति से कहा कि तुम कुछ दूर तक मेरे कुत्ते को सैर करा लाओ। इसके बाद तुम्हारे सवाल का जवाब देता हूं।
वह व्यक्ति आश्चर्यचकित हो गया, फिर भी कुत्ते को लेकर निकल पड़ा। कुत्ते को सैर कराकर जब वह व्यक्ति वापस स्वामीजी के पास पहुंचा तो स्वामीजी ने देखा कि उस व्यक्ति का चेहरा अभी भी चमक रहा था, जबकि कुत्ता बहुत थका हुआ लग रहा था।
स्वामीजी ने व्यक्ति से पूछा कि यह कुत्ता इतना ज्यादा कैसे थक गया, जबकि तुम तो बिना थके दिख रहे हो। 
व्यक्ति ने जवाब दिया कि मैं तो सीधा-साधा अपने रास्ते पर चल रहा था, लेकिन कुत्ता गली के सारे कुत्तों के पीछे भाग रहा था और लड़कर फिर वापस मेरे पास आ जाता था। हम दोनों ने एक समान रास्ता तय किया है, लेकिन फिर भी इस कुत्ते ने मेरे से कहीं ज्यादा दौड़ लगाई है इसलिए यह थक गया है।
स्वामीजी ने मुस्करा कर कहा कि यही तुम्हारे सभी प्रश्रों का जवाब है। तुम्हारी मंजिल तुम्हारे आसपास ही है। वह ज्यादा दूर नहीं है, लेकिन तुम मंजिल पर जाने की बजाय दूसरे लोगों के पीछे भागते रहते हो और अपनी मंजिल से दूर होते चले जाते हो।
यही बात लगभग हम पर भी लागू होती है। अधिकांश लोग दूसरों की गलतियां देखते रहते हैं, दूसरों की सफलता से जलते हैं। अपने थोड़े से ज्ञान को बढाने की कोशिश नहीं करते हैं और अहंकार में दूसरों को कुछ भी समझते नहीं हैं।
इसी सोच की वजह से हम अपना बहुमूल्य समय और क्षमता दोनों खो बैठते हैं और जीवन एक संघर्ष मात्र बनकर रह जाता है। इस प्रसंग की सीख ये है कि दूसरों से होड़ नहीं करना चाहिए और अपने लक्ष्य दूसरों को देखकर नहीं, बल्कि खुद ही तय करना चाहिए।

नकारात्मक बातों से बचने के लिए तरीके:-

नकारात्मक बातों से बचने के लिए ये हैं 3 तरीके:-

नकारात्मक सोच के कई कारण होते हैं। कोई व्यक्ति किसी एक कारण के चलते नकारात्मक सोच रख सकता है तो दूसरे की सोच नकारात्मक होने का कोई दूसरा कारण हो सकता है। इसलिए अपनी सोच की तुलना दूसरों की सोच के साथ मत करिए। नकारात्मकता से बाहर निकलने के भी कई रास्ते या तरीके हो सकते हैं। इनमें से 3 तरीकों के बारे में यहां बताया जा रहा है...
1. हर बात की एक्स्ट्रीम (गहराई) तक सोचना बंद कर दीजिए: जिंदगी 100 फीसदी आसान या 100 फीसदी मुश्किल नहीं हो सकती है। जैसे कि सब सच है या कुछ भी सच नहीं है, कुछ बातें सच हैं और कुछ बातें सच नहीं हैं। एक्स्ट्रीम बातों के बारे में सोचने से निगेटिव थॉट्स उभरने लगते हैं। नए लोगों से मुलाकात करने से पहले कुछ नर्वसनेस होती है, लेकिन यह सोचने लगना कि नए लोग मुझे बिल्कुल पसंद नहीं करेंगे। ऑफिस से घर जाते वक्त बारिश होने लगी है तो यह मत सोचिए कि पूरी शाम या पूरी रात बर्बाद हो गई। यह सोचिए कि घर जाने में अब थोड़ा ज्यादा समय लग जाएगा। हर चीज़ में कुछ न कुछ पॉजिटिव होता है, सिर्फ उसे देखिए।
2. दूसरे लोगों द्वारा दिए जा रहे निगेटिव साइंस का इंतज़ार मत करिए: खुद को दर्द पहुंचाने या गुस्सा दिलाने के लिए कंक्लूजन पर छलांग मत मारिए। कोई व्यक्ति एक बात कहता है तो बाकी बातों के बारे में खुद-ब-खुद सोचने मत लग जाएं। अगर कोई बात नहीं कर रहे तो उनकी चुप्पी का अर्थ खुद-ब-खुद निकालने मत लग जाएं। निगेटिव सोच रखने से आप दूसरों द्वारा कही गई हर बात को निगेटिव नजरिये के साथ देखने लग जाएंगे। अगर आप नहीं जानते कि दूसरे लोग क्या सोच रहे हैं तो खुद से कुछ भी मत सोचना शुरू कर दीजिए।
3. उम्मीद करना छोड़ दीजिए, खुद के लिए नाजायज़ और सख्त नियम-कानून मत बनाइए: दुनिया जैसी है, उसके साथ वैसा ही आगे बढ़ते जाइए। दुनिया को वैसे चलाने का प्रयास मत करिए जैसा आप चाहते हैं। जीवन में ऐसा कोई नियम-कानून नहीं है कि जैसा आप चाहते हैं जिंदगी आपको ठीक वैसा ही दे। दूसरों के साथ-साथ खुद से भी बड़ी-बड़ी उम्मीदें लगाना छोड़ दीजिए। अगर आप किसी चीज़ से कोई दूसरी उम्मीद कर रहे हैं और नतीजे वैसे नहीं मिल रहे जैसा आपने सोचा है तो खुद से पूछिए कि क्या मैंने ज्यादा की उम्मीद तो नहीं कर ली।

Tuesday 1 September 2015

WHO WILL CRY WHEN YOU DIE ?

When I was growing up, my father said something to me I will never forget, “Son, when you were born, you cried while the world rejoiced. Live your life in such a way that when you die the world cries while you rejoice.” We live in an age when we have forgotten what life is all about.We can easily put a person on the Moon, but we have trouble walking across the street to meet a new neighbor.We can fire a missile across the world with pinpoint accuracy, but we have trouble keeping a date with our children to go to the library. We have e-mail, fax machines and digital phones so that we can stay connected and yet we live in a time where human beings have never been less connected. We have lost touch with our humanity. We have lost touch with our purpose. We have lost sight of the things that matter the most. And so, as you start this book, I respectfully ask you,Who will cry when you die? How many lives will you q/who will cry touch while you have the privilege to walk this planet? What impact will your life have on the generations that follow you? And what legacy will you leave behind after you have taken your last breath? One of the lessons I have learned in my own life is that if you don’t act on life, life has a habit of acting on you. The days slip into weeks, the weeks slip into months and the months slip into years. Pretty soon it’s all over and you are left with nothing more than a heart filled with regret over a life half lived. George Bernard Shaw was asked on his deathbed, “What would you do if you could live your life over again?” He reflected, then replied with a deep sigh: “I’d like to be the person I could have been but never was.” I’ve written this book so that this will never happen to you. As a professional speaker, I spend much of my work life delivering keynote addresses at conferences across North America, flying from city to city, sharing my insights on leadership in business and in life with many different people. Though they all come from diverse walks of life, their questions invariably center on the same things these days: How can I find greater meaning in my life? How can I make a lasting contribution through my work?
and How can I simplify so that I can enjoy the journey of life before it is too late? My answer always begins the same way: Find your calling. I believe we all have special talents that are just waiting
to be engaged in a worthy pursuit. We are all here for some unique purpose, some noble objective that will allow us to manifest our highest human potential while we, at the same time, add value to the lives around us. Finding your calling doesn’t mean you must leave the job you now have. It simply means you need to bring more of yourself into your work and focus on the things you do
best. It means you have to stop waiting for other people to make the changes you desire and, as Mahatma Gandhi noted: “Be the change that you wish to see most in your world.” And once you do, your life will change.

PM Letter Man Ki Baat !

मेरे प्यारे देशवासियों,
पिछले वर्ष आज के दिन जनता-जनार्द ार्दन के आशीर्वा द से मुझे प्रधानमंत्री का दायित्व मि ला। मैं स्वय ं को "प्रधान सेवक" मानकर अपनी जिम्मे ्मेदारी इसी भावना से नि भा रहा हूं।
अन्त ्यो दय हमारे राजनैति क दर्श र्शन का मूल मंत्र है। प्रमुख फैसले लेते समय हमेशा वंचित, गरीब, मजदूर और किसा न हमारी आंखों के सा मने रहते हैं। जन-धन योजना में हर परिवार का बैंकखाता और प्रधानमंत्री जीवन-ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एवं अटल पेन्श न योजना इसी का प्रमाण हैं।
"अन्न दाता सुखी भवः" हमारी सर् वोच्च प्रा थमि कता है। हमारे किसा न अथक मेहनत कर देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान करते हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचा ई योजना, सॉइल हेल्थ कार्ड, बिजली की बेहतर उपलब्ध ता, नई "यूरिया नीति ", कृषि वि कास के लि ए हमारी प्रति बद्ध ता है। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से पीड़ित किसा नों के सा थ हम मजबूती से खड़े ड़े रहे। सहाय ता राशि को डेढ़ गुना किया ।
भ्रष्टाचा र-मुक्त , पा रदर् शी, नीति -आधारित प्रशास न एवं शीघ्र निर्णय निर्णयनिर्णय हमारे मूलभूत सिद्धां त हैं। पहले प्रा कृति क सम्प दा जैसे कोयला या स्पैक् ्पैक् ट्रम का आबंटन मनमानी से, चहेते उद्यो गपतिय ों को होता था। किन्तु ्तु देश के संसा धन देश की सम्पत् ति हैं। सरकार का मुखिया िया होने के नाते मैं उसका ट्रस्टी हूं। इसीलि ए हमने निर्णय निर्णयनिर्णय लिया कि इनका आबंटन नीलामी से होगा। कोयले के अब तक हुए आबंटन से लगभग तीन लाख करोड़ रुपए और स्पैक् ्पैक् ट्रम से लगभग एक लाख करोड़ रुपय े की आमदनी होगी!
स स

दृढ़ अर्थ र्थव्य वस्था के लि ए भरोसेमंद सरकार आवश्य क होती है। जब हमारी सरकार बनी उस समय आर्थि र्थिक स्थिति डा वांडोल थी। महंगाई तेजी से बढ़ रही थी। मुझे खुशी है कि हमारे प्रयास ों से वि गत वर्ष में भारत वि श्व की तीव्रतम वि कास वाली अर्थ र्थव्य वस्था बनी, महंगाई निय ंत्रि त हुई और पूरे वातावरण में नए उत्सा ह का संचा र हुआ।
वि श्व स्त र पर भारत की प्रतिष ्ठा बढ़ी है। पूंजी नि वेश बढ़ा है। ‘'मेक इन इंडिया '’ और ‘'स्कि ल इंडिया '’ अभिया न का उद्दे ्देश्य हमारे युवाओं को रोजगार प्रदान कराना है। हमने मुद्रा बैंक की स्थाप ना की जिसस े छोटे-छोटे रोजगार चलाने वाले भाई-बहनों को दस हजार रुपए से दस लाख रुपए तक के बैंक-ऋण सुलभ होंगे। हमने कालाधन वापस लाने का वादा किया था। सरकार बनते ही पहला निर्णय निर्णय निर्णयनिर्णय कालेधन पर एसआईटी गठन करने का था। फि र हमने वि देशों में कालाधन रखने वालों को कड़ी सजा देने के लि ए कानून बनाया ।
"स्व च्छ भारत अभिया न" की सोच है कि बहू-बेटी को खुले में शौच न जाना पड़े पड़े, शौचा लय के अभाव में बेटिया ं स्कू ्कू ल न छोड़े ड़े और गंदगी से मास ूम बच्चे ्चे बार-बार बीमार न पड़ ें। बालकों की तुलना में बालि काओं की गि रती संख्या बहुत चिंता का विषय है, इसलि ए हमने ''बेटी बचा ओ, बेटी पढ़ा ओ'' अभिया न चलाया । सदिय ों से हमारी आस्था का केन्द्र जीवनदायिनी मां गंगा प्रदूषण-मुक्त हो इसलि ए हमने "नमामि गंगे" कार्य ार्यक्रम शुरू किया । हमारा इरादा है कि गांव की तस्वी र बदले और मूलभूत सुवि धाएं जैसे प्रत्येक परिवार के लि ए पक्का घर, चौबीस घंटे बिजली, पीने का शुद्ध पा नी, शौचा लय, सड़ क और इंटरनेट की व्य वस्था हो जिसस े लोगों का जीवनस्त र बेहतर हो। इन सबकी सफलता के लि ए आपकी भागीदारी आवश्य क है।
हमने जोड़ ने का काम किया िया है - देश की सीमाओं, बंदरगाहों और पूरे भारत को एक कोने से दूसरे कोने तक जोड़ ने के लि ए सड़ कें और रेलवे को नया जीवन देने का प्रयास । लोगों को जोड़ ने के लि ए "डिजिटल इंडिया " कनेक्टिवि टी। सभी मुख्य मंत्रिय ों के सा थ "टीम इंडिया " की अवधारणा भी दूरिया ं मि टाने की कोशि श है।
प्रथम वर्ष में वि कास या त्रा की मजबूत नींव से देश ने खोया वि श्वास पाया है। मुझे भरोसा है कि हमारे प्रयास ों ने आपकी जिंदगी को छुआ होगा। यह मात्र शुरूआत है।
देश आगे बढ़ने के लि ए तैया र है। आइये… हम सब संकल्प लें कि हमारा हर कदम देशहि त में आगे बढ़े ढ़े।
आपकी सेवा में समर्पि र्पित,
जय हि न्द !